ये कैसी जुदाई है आँख मेरी भर आई हैये कैसी जुदाई है आँख मेरी भर आई हैसावन की हर एक बरसती बूंद में तेरी ही परछाईं हैइस हसीन मौसम में फिर क्यों ये जुदाई है