जुदा होकर भी सताने से बाज़ नहीं आतेजुदा होकर भी सताने से बाज़ नहीं आतेदूर रहकर भी वो दिल जलाने से बाज़ नहीं आतेहम तो भूलना चाहते हैं हर एक याद उनकीमगर वो ख्वाबों में आने से भी बाज़ नहीं आते
जो रहते हैं दिल में वो जुदा नहीं होतेजो रहते हैं दिल में वो जुदा नहीं होतेकुछ एहसास लफ़्ज़ों से बयां नहीं होतेएक हसरत है कि उनको मनाये कभीएक वो हैं कि कभी खफा नहीं होते
अब तो अपनी तबियत भी कुछ जुदा सी लगती हैअब तो अपनी तबियत भी कुछ जुदा सी लगती हैसांस लेता हूँ तो ज़ख्मों को हवा सी लगती हैकभी राज़ी तो कभी मुझसे खफा सी लगती हैज़िंदगी तु ही बता कि तु मेरी क्या लगती है