तकदीरें बदल जाती हैंतकदीरें बदल जाती हैं, जब ज़िन्दगी का कोई मकसद होवर्ना ज़िन्दगी कट ही जाती है 'तकदीर' को इल्ज़ाम देते देते
ज़िन्दगी दरस्त-ए-ग़म थी और कुछ नहींज़िन्दगी दरस्त-ए-ग़म थी और कुछ नहींये मेरा ही हौंसला है की दरम्यां से गुज़र गया!
इन कमबख्त़ जरूरतो और चाहतों ने मार डालाइन कमबख्त़ जरूरतो और चाहतों ने मार डाला;कभी जरूरतें पूरी नही होती तो कभी चाहतें बिखर जाती है;कभी चाहतें के पीछे भागो तो कभी जरूरतों पूरी करों;बस इसी में तालमेल बिठाते-बिठाते ज़िन्दगी गुज़र जाती है