तकदीरें बदल जाती हैंतकदीरें बदल जाती हैं, जब ज़िन्दगी का कोई मकसद होवर्ना ज़िन्दगी कट ही जाती है 'तकदीर' को इल्ज़ाम देते देते
ज़िन्दगी तस्वीर भी है और तकदीर भी!ज़िन्दगी तस्वीर भी है और तकदीर भीफर्क तो रंगों का हैमनचाहे रंगों से बने तो तस्वीरऔर अनजाने रंगों से बने तो तकदीर!!
ज़िन्दगी दरस्त-ए-ग़म थी और कुछ नहींज़िन्दगी दरस्त-ए-ग़म थी और कुछ नहींये मेरा ही हौंसला है की दरम्यां से गुज़र गया!
देखा है ज़िन्दगी को कुछ इतना करीब सेदेखा है ज़िन्दगी को कुछ इतना करीब से, कि चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब सेइस रेंगती हयात का कब तक उठाएं भार, बीमार अब उलझने लगे हैं तबीब सेकुछ इस तरह दिया है ज़िन्दगी ने हमारा साथ जैसे कोई निभा रहा हो रकीब सेए रूह-ए-असर जाग कहाँ सो रही है तू, आवाज़ दे रहे हैं पयम्बर सलीब से
सर-ऐ-आम मुझे ये शिकायत है ज़िन्दगी सेसर-ऐ-आम मुझे ये शिकायत है ज़िन्दगी से;क्यूँ मिलता नहीं मिजाज मेरा किसी से...?