उसके चेहरे पर इस कदर नूर थाउसके चेहरे पर इस कदर नूर थाकि उसकी याद में रोना भी मंज़ूर थाबेवफ़ा भी नहीं कह सकते उसको फराज़प्यार तो हमने किया है वो तो बेक़सूर था
तुम्हारा नूर ही है जो पड़ रहा चेहरे परतुम्हारा नूर ही है जो पड़ रहा चेहरे परवर्ना कौन देखता मुझे इस अंधेरे में
तुझे पाने की इस लिए ज़िद्द नहीं करतेतुझे पाने की इस लिए ज़िद्द नहीं करतेक्योंकि तुझे खोने को दिल नहीं करतातू मिलता है तो इसलिए नहीं देखते तुझकोक्योंकि फिर इस हसीं चेहरे से नज़रें हटाने को दिल नहीं करता
चेहरे पे ख़ुशी छा जाती हैचेहरे पे ख़ुशी छा जाती है, आँखों में सुरूर आ जाता हैजब तुम मुझे अपना कहते हो तो अपने पे गुरूर आ जाता हैतुम हुस्न की खुद एक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहींमहफ़िल में तुम्हारे आने से हर चीज़ पे नूर आ जाता है
हटा कर ज़ुल्फ़ चेहरे से ना छत पर शाम को आनाहटा कर ज़ुल्फ़ चेहरे से ना छत पर शाम को आनाकहीं कोई ईद ही ना कर ले अभी रमज़ान बाकी है
न जाने क्या मासूमियत है तेरे चेहरे परन जाने क्या मासूमियत है तेरे चेहरे परसामने आने से ज़्यादा तुझे छुपकर देखना अच्छा लगता है