कितना इख़्तियार था उसे अपनी चाहत परकितना इख़्तियार था उसे अपनी चाहत परजब चाहा याद किया जब चाहा भुला दियाबहुत अच्छे से जानता है वो मुझे बहलाने के तरीकेजब चाहा हँसा दिया जब चाहा रुला दिया
आजाद कर देंगे तुम्हे अपनी चाहत की कैद सेआजाद कर देंगे तुम्हे अपनी चाहत की कैद सेमगर वो शख्स तो लाओ जो हमसे ज्यादा कदर करे तुम्हारी
अगर तुम समझ पाते मेरी चाहत की इन्तहाअगर तुम समझ पाते मेरी चाहत की इन्तहातो हम तुमसे नही तुम हमसे मोहब्बत करते
दिल की हालत बताई नहीं जातीदिल की हालत बताई नहीं जातीहमसे उनकी चाहत छुपाई नहीं जातीबस एक याद बची है उनके चले जाने के बादहमसे तो वो याद भी दिल से निकाली नहीं जाती
खुशबू ने फूल को एक अहसास बनायाखुशबू ने फूल को एक अहसास बनायाफूल ने बाग को कुछ खास बनायाचाहत ने मोहब्बत को एक प्यास बनायाऔर इस मोहब्बत ने एक और देवदास बनाया
चाहत के ये कैसे अफ़साने हुएचाहत के ये कैसे अफ़साने हुएखुद नज़रों में अपनी बेगाने हुएअब दुनिया की नहीं कोई परवाह हमेंइश्क़ में तेरे इस कदर दीवाने हुए