बढ़ी जो हद से तो सारे तिलिस्म तोड़ गयीबढ़ी जो हद से तो सारे तिलिस्म तोड़ गयीवो खुश दिली जो दिलों को दिलों से जोड़ गयीअब्द की राह पे बे-ख्वाब धड़कनों की धमकजो सो गए उन्हें बुझते जगो में छोड़ गयी
धुआँ धुआँ जला था दिल धीमे धीमे गुबार उठाधुआँ धुआँ जला था दिल धीमे धीमे गुबार उठाराख के उस ढेर में बिखरा हुआ एक ख्वाब मिला
हकीक़त कहो तो उनको ख्वाब लगता हैहकीक़त कहो तो उनको ख्वाब लगता है;शिकायत करो तो उनको मजाक लगता है;कितने सिद्दत से उन्हें याद करते है हम;और एक वो है, जिन्हें ये सब इत्तेफाक लगता है।
हकीक़त कहो तो उनको ख्वाब लगता हैहकीक़त कहो तो उनको ख्वाब लगता हैशिकायत करो तो उनको मजाक लगता हैकितनी शिद्दत से उन्हें याद करते हैं हमऔर एक वो हैं जिन्हें ये सब इत्तेफाक लगता है
मोहब्बत मुक़द्दर है एक ख्वाब नहींमोहब्बत मुक़द्दर है एक ख्वाब नहींये वो अदा है जिसमे सब कामयाब नहींजिन्हें पनाह मिली उन्हें उँगलियों पर गिन लोमगर जो फना हुए उनका कोई हिसाब नहीं
इश्क का जिसको ख्वाब आ जाता हैइश्क का जिसको ख्वाब आ जाता हैसमझो उसका वक़्त खराब आ जाता हैमहबूब आये या न आयेपर तारे गिनने का तो हिसाब आ ही जाता है