हो मुखातिब तो कहूँ, क्या मर्ज़ है मेराअब तुम ख़त में पूछोगे, तो खैरियत ही कहेंगे
हाल जब भी पूछो खैरियत बताते होलगता है मोहब्बत छोड़ दी तुमने