मानों घर भर भूल बैठामानों घर भर भूल बैठा..मानों घर भर भूल बैठा था ठहाकों का हुनरखिलखिलाने की वजह बच्चे की किलकारी बनीआप जैसी ही तरक्की मैं भी कर लेता, मगरमेरे रस्ते की रूकावट मेरी खुद्दारी बनीवो नज़र अंदाज़ कर देती है औलादों का जुर्मबाँध कर पट्टी निगाहों पर जो गांधारी बनी