वो मुझसे मेरी खामोशीवो मुझसे मेरी खामोशी..वो मुझसे मेरी खामोशी की वजह पूछता हैकितना पागल है रात के सनाटे की वजह पूछता हैवो मुझसे मेरे आँसू की वजह पूछता हैकितना पागल है बारिश के बरसने की वजह पूछता हैवो मुझसे मेरी मोहब्बत के बारे में पूछता हैकितना पागल है खुद अपने बारे में पूछता हैवो मुझसे मेरी वफ़ा की इंतेहा पूछता हैकितना पागल है साहिल पे रह कर, समुद्र की गहराई पूछता है
किन लफ्जों में लिखूँकिन लफ्जों में लिखूँ, मैं अपने इन्तजार को तुम्हेंबेजुबां हैं इश्क़ मेरा, और ढूँढता हैं खामोशी से तुझे
मेरी खामोशी से किसी को कोई फर्क नही पडतामेरी खामोशी से किसी को कोई फर्क नही पडताऔर शिकायत में दो लफ़्ज कह दूं तो वो चुभ जाते हैं
रात की खामोशी रास नहीं आतीरात की खामोशी रास नहीं आतीमेरी परछाईं भी अब मेरे पास नहीं आतीकुछ आती भी है तो बस तेरी यादजो आकर भी एक पल भी मुझसे दूर नहीं जाती
हर खामोशी का मतलब इंकार नहीं होताहर खामोशी का मतलब इंकार नहीं होताहर नाकामयाबी का मतलब हार नहीं होतातो क्या हुआ अगर हम तुम्हें न पा सकेसिर्फ पाने का मतलब प्यार नहीं होता