ख़ुद न छुपा सके वो अपना चेहरा नक़ाब मेंख़ुद न छुपा सके वो अपना चेहरा नक़ाब मेंबेवज़ह हमारी आँखों पे इल्ज़ाम लग गया
चंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँचंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँतेरा मिलना ख़ुशी की बात सही तुझ से मिल कर उदास रहता हूँअनुवादनशात = खुशियामहव-ए-यास = दुखों में खोय
उसका चेहरा भी सुनाता हैं कहानी उसकीउसका चेहरा भी सुनाता हैं कहानी उसकीचाहता हूँ कि सुनूं उससे जुबानी उसकीवो सितमगर है तो अब उससे शिकायत कैसीक्योंकि सितम करना भी आदत हैं पुरानी उसकी
चंद कलियाँ निशात की चुनकरचंद कलियाँ निशात की चुनकरमुद्दतों मायूस रहता हूँतेरा मिलना ख़ुशी की बात सहीतुझसे मिलकर उदास रहता हूँ
मुझ को शिकस्त-ए-दिल का मज़ा याद आ गयामुझ को शिकस्त-ए-दिल का मज़ा याद आ गयातुम क्यों उदास हो गए क्या याद आ गयाकहने को ज़िन्दगी थी बहुत मुख्तसर मगरकुछ यूँ बसर हुई कि खुदा याद आ गया
ना जाने यह नज़रें क्यों उदास रहती हैंना जाने यह नज़रें क्यों उदास रहती हैंना जाने इन्हे किसकी तलाश रहती हैजानती हैं यह कि वो किस्मत में नहींलेकिन फिर भी ना जाने क्यों उन्हें पाने की आस रखती हैं