Apna Ghar Kitna Hi Viraan HoApna ghar kitna hi viraan ho,phir apna ghar haiBistar-e-khaak lage takht-e-sulemani mujh koJaanta hoon main khad-o-khaal ki kimat mohsinAaina kr na sake ga kabhi hairan mujh ko
Hindi Shayari, Aapne ghar ki izaat sab koअपने घर की इज्ज़त सब को प्यारी लगती हगैरों की बहन बेटी क्यों अबला नारी लगती हैदुसरो की बहन बेटी को छेड़ने में बड़ा मजा आता हखुद की बहन बेटी को कोई देखे तो मिर्ची क्यों लगती हैअपनी गर्ल फ्रेंड की हर बात बड़ी अच्छी लगती हबहन का बॉय फ्रेंड बने तो क्यों दिल में आग लगती हैकिसी का बलात्कार हो जाये खबर गरम लगती हखुद के साथ यही बीते तो क्यों फिर शर्म लगती हैमुझ को तो हर बहन बेटी अपनी सी लगती हबस घर को चलाने वाली लक्ष्मी सी लगती हैइज्ज़त हर घर की एक जैसी ही होती हबहन बेटी सब की बड़ी प्यारी सी होती है
Ghar Ka Pata To Malum ThaGhar ka pata to malum thPar galat raste jana achha lagaKab se taraste the unki 1 jalak pane kJo mili nazar to sar jhukana acha lag