हवा को गुमान था अपने आज़ाद होने काहवा को गुमान था अपने आज़ाद होने काकिसी ने उसे भी गुबारे में कैद कर बेच दिया
अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैंअपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैंरुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं