हम तो सोचते थे कि लफ्ज़ ही चोट करते हैंहम तो सोचते थे कि लफ्ज़ ही चोट करते हैंमगर कुछ खामोशियों के ज़ख्म तो और भी गहरे निकले
अल्फ़ाज़ चुराने की ज़रूरत ही ना पड़ी कभीअल्फ़ाज़ चुराने की ज़रूरत ही ना पड़ी कभीतेरे बे-हिसाब ख्यालों ने बे-तहाशा लफ्ज़ दिए
तरस जाओगें हमारे लबों से सुनने को एक एक लफ्ज़तरस जाओगें हमारे लबों से सुनने को एक एक लफ्ज़प्यार की बात तो क्या, हम शिकायत भी नहीं करेंगे