ऐ गमे जाना बता क्यों तेरे दीवानों केऐ गमे जाना बता क्यों तेरे दीवानों कजिस्म से लिपटी हुई गुर्दे सफ़र मिलती हबिन पिए दिल मेरा हो जाता है गौहर सैलाजब भी साकी से कभी मेरी नज़र मिलती ह