पलकों मे कैद कुछ सपनें हैपलकों मे कैद कुछ सपनें है, कुछ अपने हैं और कुछ बेगाने हैंन जाने क्या कशिश है इन ख़्यालों में कुछ लोग दूर् होकर भी कितने अपने हैं
आगोश-ए-सितम में छुपाले कोईआगोश-ए-सितम में छुपाले कोईतन्हा हूँ तड़पने से बचा ले कोईसूखी है बड़ी देर से पलकों की जुबांबस आज तो जी भर के रुला दे कोई
आँसुओं को पलकों पे लाया मत कीजियेआँसुओं को पलकों पे लाया मत कीजियेदिल की बातें हर किसी को बताया न कीजियेलोग मुट्ठी में नमक लिए फिरते हैंअपना हर ज़ख़्म लोगों को दिखाया न कीजिये
झुकी हुई पलकों सेझुकी हुई पलकों से, उनका दीदार कियासब कुछ भुला के, उनका इंतजार कियावो जान ही न पाए, जज्बात मेरेजिन्हें दुनिया में मैंने, सबसे ज्यादा प्यार किया
पलकों को जब-जब हमने झुकाया हैपलकों को जब-जब हमने झुकाया हैबस एक ही ख्याल आया हैकि जिस खुदा ने तुम्हें बनाया हैतुम्हें 'धरती' पर भेजकर वो कैसे जी पाया है
उसे मैं ढाँप लेना चाहता हूँ अपनी पलकों मेंउसे मैं ढाँप लेना चाहता हूँ अपनी पलकों मेंइलाही उस के आने तक मेरी आँखों में दम रखना