मंज़िल पाना तो बहुत दूर की बात हैमंज़िल पाना तो बहुत दूर की बात हैगुरूर में रहोगे तो रास्ते भी ना देख पाओगे
तेरी महफ़िल से उठे तो किसी को खबर तक ना थीतेरी महफ़िल से उठे तो किसी को खबर तक ना थीतेरा मुड़-मुड़ कर देखना हमें बदनाम कर गया
सोचता हूँ कि अब तेरे दिल में उतर कर देखूंसोचता हूँ कि अब तेरे दिल में उतर कर देखूंकौन है वहां, जो मुझको तेरे दिल में बसने नहीं देता
राज़-ए-हक़ीकत जानने वाले देखिये अब क्या कहते हैंराज़-ए-हक़ीकत जानने वाले देखिये अब क्या कहते हैंदिल को अपना दिल नहीं कहते, उनकी तमन्ना कहते हैं
लाखों में इन्तिख़ाब के क़ाबिल बना दियालाखों में इन्तिख़ाब के क़ाबिल बना दियाजिस दिल को तुमने देख लिया, दिल बना दिया