कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होताकुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होतातुम न होते न सही ज़िक्र तुम्हारा होता
यूँ तो ऐसा कोई ख़ास याराना नहीं है मेरा शराब सेयूँ तो ऐसा कोई ख़ास याराना नहीं है मेरा शराब सेइश्क की राहों में तन्हा मिली तो हमसफ़र बन गई
बहेंगी जब भी सर्द हवायेंबहेंगी जब भी सर्द हवायें;हम खुद को तन्हा पायेंगे;एहसास तुम्हारे साथ का;हम कैसे महसूस कर पायेंगे
ज़िंदगी में कोई ख़ास थाज़िंदगी में कोई ख़ास थातन्हाई के सिवा कुछ न पास थापा तो लेते ज़िंदगी की हर ख़ुशीपर हर ख़ुशी में तेरी कमी का एहसास था
तेरे ख़याल सेतेरे ख़याल से..तेरे ख़याल से लौ दे उठी है तन्हाईशब-ए-फ़िराक़ है या तेरी जलवाआराईतू किस ख़याल में है ऐ मन्ज़िलों क्के शादाईउन्हें भी देख जिन्हें रास्ते में नींद आईपुकार ऐ जरस-ए-कारवान-ए-सुबह-ए-तरबभटक रहे हैं अँधेरों में तेरे सौदाईरह-ए-हयात में कुछ मरकले देख लियेये और बात तेरी आरज़ू न रास आईये सानिहा भी मुहब्बत में बारहा गुज़राकि उस ने हाल भी पूछा तो आँख भर आईफिर उस की याद में दिल बेक़रार है 'नासिर'बिछड़ के जिस से हुई शहर शहर रुसवाई
जलाया आप हमनेजलाया आप हमने..जलाया आप हमने, जब्त कर-कर आहे-सोजां कोजिगर को, सीना को, पहलू को, दिल को, जिस्म को, जां कोहमेशा कुंजे-तन्हाई में मूनिस हम समझते हैअलम को, यास को, हसरत को, बेताबी को, हुरमां कोजगह किस-किस को दूं दिल में, तेरे हाथों से ऐ कातिलकटारी को, छुरी को, बांक को, खंजर को, पैकां कोन हो जब तू ही ऐ साकी, भला फिर क्या करे कोईहवा को, अब्र को, गुल को, चमन को, सहन-ए-बस्तां कोबनाया ऐ 'जफर' खालिक ने जब इंसान से बेहतरमलक को, देव को, जिन को, परी को, हूरो-गिलमां को