मैं उसके चेहरे कोमैं उसके चेहरे को..मैं उसके चेहरे को दिल से उतार देती हूँमैं कभी कभी तो खुद को भी मार देती हूँ.ये मेरा हक़ है कि मैं उसको थोडा दुःख भी दूंमैं चाहत भी तो उसे बेशुमार देती हूँ.खफा वो रह नहीं सकता लम्हा भर भीमैं बहुत पहले ही उसको पुकार लेती हूँ.मुझे सिवा उसके कोई भी काम नहीं सूझतावो जो भी करता है, मैं सब हिसाब लेती हूँ;.वो सभी नाज़ उठाता है मैं जो भी कहती हूँवो जो भी कहता है मैं चुपके से मान लेती हूँ
हर एक चेहरे पे गुमान उसका थाहर एक चेहरे पे गुमान उसका थाबसा ना कोई दिल में ये खाली मकान उसका थातमाम दुःख मेरे दिल से मिट गए, लेकिनजो न मिट सका वो एक नाम उसका था
सभी के चेहरे में वो बात नहीं होतीसभी के चेहरे में वो बात नहीं होतीथोड़े से अँधेरे से रात नहीं होतीजिंदगी में कुछ लोग बहुत प्यारे होते हैंक्या करें उन्ही से हमारी 'मुलाकात' नहीं होती
उसके चेहरे पर इस कदर नूर थाउसके चेहरे पर इस कदर नूर थाकि उसकी याद में रोना भी मंज़ूर थाबेवफ़ा भी नहीं कह सकते उसको फराज़प्यार तो हमने किया है वो तो बेक़सूर था
तुम्हारा नूर ही है जो पड़ रहा चेहरे परतुम्हारा नूर ही है जो पड़ रहा चेहरे परवर्ना कौन देखता मुझे इस अंधेरे में
चेहरे पे ख़ुशी छा जाती हैचेहरे पे ख़ुशी छा जाती है, आँखों में सुरूर आ जाता हैजब तुम मुझे अपना कहते हो तो अपने पे गुरूर आ जाता हैतुम हुस्न की खुद एक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहींमहफ़िल में तुम्हारे आने से हर चीज़ पे नूर आ जाता है