हटा कर ज़ुल्फ़ चेहरे से ना छत पर शाम को आनाहटा कर ज़ुल्फ़ चेहरे से ना छत पर शाम को आनाकहीं कोई ईद ही ना कर ले अभी रमज़ान बाकी है
कुछ चेहरे भुलाए नहीं जातेकुछ चेहरे भुलाए नहीं जातेकुछ नाम दिल से मिटाए नहीं जातेमुलाक़ात हो न हो, अय मेरे यारप्यार के चिराग कभी बुझाए नहीं जाते
उसके चेहरे पर इस क़दर नूर थाउसके चेहरे पर इस क़दर नूर थाकि उसकी याद में रोना भी मंज़ूर थाबेवफा भी नहीं कह सकते उसको ज़ालिमप्यार तो हमने किया है वो तो बेक़सूर था
उस एक चेहरे में आबाद थे कई चेहरेउस एक चेहरे में आबाद थे कई चेहरेउस एक शख़्स में किस किस को देखता था मैं