सहमा-सहमा हर इक चेहरासहमा-सहमा हर इक चेहरसहमा-सहमा हर इक चेहरा मंज़र-मंज़र ख़ून में तरशहर से जंगल ही अच्छा है चल चिड़िया तू अपने घरतुम तो ख़त में लिख देती हो घर में जी घबराता हैतुम क्या जानो क्या होता है हाल हमारा सरहद पर बेमौसम ही छा जाते हैं बादल तेरी यादों के बेमौसम ही हो जाती है बारिश दिल की धरती परआ भी जा अब जाने वाले कुछ इनको भी चैन पड़ेकब से तेरा रस्ता देखें छत, आंगन, दीवार-ओ-दरजिस की बातें अम्मा-अब्बू अक़्सर करते रहते हैं सरहद पार न जाने कैसा वो होगा पुरखों का घर।
इक खिलौना टूट जाएगाइक खिलौना टूट जाएगा..इक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगामैं नहीं तो कोई तुझ को दूसरा मिल जाएगाभागता हूँ हर तरफ़ ऐसे हवा के साथ साथजिस तरह सच मुच मुझे उस का पता मिल जाएगाकिस तरह रोकोगे अश्कों को पस-ए-दीवार-ए-चश्मये तो पानी है इसे तो रास्ता मिल जाएगाएक दिन तो ख़त्म होगी लफ़्ज़ ओ मानी की तलाशएक दिन तो मुझ को मेरा मुद्दा मिल जाएगाछोड़ ख़ाली घर को आ बाहर चलें घर से 'अदीम'कुछ नहीं तो कोई चेहरा चाँद सा मिल जाएगा
एक खिलौना टूट जाएगाएक खिलौना टूट जाएगा..एक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगामैं नहीं तो कोई तुझ को दूसरा मिल जाएगाभागता हूँ हर तरफ़ ऐसे हवा के साथ साथजिस तरह सच मुच मुझे उस का पता मिल जाएगाकिस तरह रोकोगे अश्कों को पस-ए-दीवार-ए-चश्मये तो पानी है इसे तो रास्ता मिल जाएगाएक दिन तो ख़त्म होगी लफ़्ज़ ओ मानी की तलाशएक दिन तो मुझ को मेरा मुद्दा मिल जाएगाछोड़ ख़ाली घर को आ बाहर चलें घर से 'अदीम'कुछ नहीं तो कोई चेहरा चाँद सा मिल जाएगा
हर एक चेहरा यहाँ पर गुलाल होता हैहर एक चेहरा यहाँ पर गुलाल होता हैहमारे शहर में पत्थर भी लाल होता हैमैं शोहरतों की बुलंदी पर जा नहीं सकताजहाँ उरूज पर पहुँचो ज़वाल होता हैमैं अपने बच्चों को कुछ भी तो दे नहीं पायाकभी-कभी मुझे ख़ुद भी मलाल होता हैयहीं से अमन की तबलीग रोज़ होती हैयहीं पे रोज़ कबूतर हलाल होता हैमैं अपने आप को सय्यद तो लिख नहीं सकताअजान देने से कोई बिलाल होता हैपड़ोसियों की दुकानें तक नहीं खुलतींकिसी का गाँव में जब इन्तिकाल होता है
प्यारा सा चेहराप्यारा सा चेहरा, मीठी सी आवाज़मासूम सा दिल, स्वीट सी मुस्कानपरफेक्ट पेर्सोनलिटी, खुसमिजाज अंदाज़ये तो हुई मेरी बात... और बताओ कैसे हो आप
दुनियाँ को इसका चेहरा दिखाना पड़ा मुझेदुनियाँ को इसका चेहरा दिखाना पड़ा मुझेपर्दा जो दरमियां था हटाना पड़ा मुझेरुसवाईयों के खौफ से महफिल में आजफिर इस बेवफा से हाथ मिलाना पड़ा मुझे