रूह प्यासीरूह प्यासी..रूह प्यासी कहाँ से आती हैये उदासी कहाँ से आती हैदिल है शब दो का तो ऐ उम्मीद तू निदासी कहाँ से आती हैशौक में ऐशे वत्ल के हन्गामनाशिफासी कहाँ से आती हैएक ज़िन्दान-ए-बेदिली और शामये सबासी कहाँ से आती हैतू है पहलू में फिर तेरी खुशबूहोके बासी कहाँ से आती है
एक पल में ज़िन्दगी भर की उदासी दे गयाएक पल में ज़िन्दगी भर की उदासी दे गयावो जुदा होते हुए कुछ फूल बासी दे गयानोच कर शाखों के तन से खुश्क पत्तों का लिबासज़र्द मौसम बाँझ रुत को बे-लिबासी दे गया
उदासी तुम पे बीतेगी तो तुम भी जान जाओगे किउदासी तुम पे बीतेगी तो तुम भी जान जाओगे किकितना दर्द होता है नज़र अंदाज़ करने से
खामोश बैठें तो वो कहते हैं उदासी अच्छी नहींखामोश बैठें तो वो कहते हैं उदासी अच्छी नहींज़रा सा हँस लें तो मुस्कुराने की वजह पूछ लेते हैं
आज यह कैसी उदासी छाई है!आज यह कैसी उदासी छाई हैतन्हाई के बादल से भीगी जुदाई हैरोया है फिर मेरा दिलजाने आज किसकी याद आई है
हर एक मजार पर उदासी छाई हैहर एक मजार पर उदासी छाई हैचाँद की रौशनी में भी कमी आई हैअकेले अच्छे थे हम अपने आशियाने मेंजाने क्यों टूटकर आज फिर आपकी याद आई है