किन लफ्जों में लिखूँकिन लफ्जों में लिखूँ, मैं अपने इन्तजार को तुम्हेंबेजुबां हैं इश्क़ मेरा, और ढूँढता हैं खामोशी से तुझे
ख़िरद वालों से हुस्न ओ इश्क़ की तन्क़ीद क्या होगीख़िरद वालों से हुस्न ओ इश्क़ की तन्क़ीद क्या होगीन अफ़्सून-ए-निगह समझा न अंदाज़-ए-नज़र जानाशब्दार्थअफ़्सून-ए-निगह = नज़र का जाद
तुझ को पा कर भी न कम हो सकी बे-ताबी-ए-दिलतुझ को पा कर भी न कम हो सकी बे-ताबी-ए-दिलइतना आसान तेरे इश्क़ का ग़म था ही नहीं
हम जानते तो इश्क़ न करते किसी के साथहम जानते तो इश्क़ न करते किसी के साथले जाते दिल को ख़ाक में इस आरज़ू के साथ
मेरी रूह गुलाम हो गई है तेरे इश्क़ में शायदमेरी रूह गुलाम हो गई है तेरे इश्क़ में शायदवरना यूँ छटपटाना मेरी आदत तो ना थी