बदन में आगबदन में आग..बदन में आग सी चेहरा गुलाब जैसा हैके ज़हरे-ग़म का नशा भी शराब जैसा हैकहाँ वो कुर्ब के अब तो ये हाल है जैसेतेरे फिराक का आलम भी ख्वाब जैसा हैइसे कभी कोई देखे कोई पढे तो सहीदिल आइना है तो चेहरा किताब जैसा है'फ़राज़' संगे-मलामत से ज़ख्म-ज़ख्म सहीहमें अज़ीज़ है, खानाखाराब, जैसा है
सर-ए-सहरा मुसाफ़िर कोसर-ए-सहरा मुसाफ़िर को..सर-ए-सहरा मुसाफ़िर को सितारा याद रहता हैमैं चलता हूँ मुझे चेहरा तुम्हारा याद रहता हैतुम्हारा ज़र्फ़ है तुम को मोहब्बत भूल जाती हैहमें तो जिस ने हँस कर भी पुकारा याद रहता हैमोहब्बत में जो डूबा हो उसे साहिल से क्या लेनाकिसे इस बहर में जा कर किनारा याद रहता हैबहुत लहरों को पकड़ा डूबने वाले के हाथों नेयही बस एक दरिया का नज़ारा याद रहता हैमैं किस तेज़ी से ज़िंदा हूँ मैं ये तो भूल जाता हूँनहीं आना है दुनिया में दोबारा याद रहता है
तेरा चेहरा सुब्ह का तारा लगता हैतेरा चेहरा सुब्ह का तारा लगता हैसुब्ह का तारा कितना प्यारा लगता हैतुम से मिल कर इमली मीठी लगती हैतुम से बिछड़ कर शहद भी खारा लगता हैरात हमारे साथ तू जागा करता हैचाँद बता तू कौन हमारा लगता हैकिस को खबर ये कितनी कयामत ढाता हैये लड़का जो इतना बेचारा लगता हैतितली चमन में फूल से लिपटी रहती हैफिर भी चमन में फूल कँवारा लगता है'कैफ' वो कल का 'कैफ' कहाँ है आज मियाँये तो कोई वक्त का मारा लगता है