वो जो वह एक अक्स है सहमा हुआ डरा हुआवो जो वह एक अक्स है सहमा हुआ डरा हुआदेखा है उसने गौर से सूरज को डूबता हुआतकता हु कितनी देर से दरिया को मैं करीब सेरिश्ता हरेक ख़त्म क्या पानी से प्यास का हुआहोठो से आगे का सफर बेहतर है मुल्तवी करेवो भी है कुछ निढाल सा मैं भी हु कुछ थका हुआकल एक बरहना शाख से पागल हवा लिपट गयीदेखा था खुद ये सानिहा, लगता है जो सुना हुआपैरो के निचे से मेरे कब की जमीं निकल गयीजीना है और या नहीं अब तक न फैसला हुआ
तुम्हारी यादों में मेरा अक्स झिलमिलाता होगातुम्हारी यादों में मेरा अक्स झिलमिलाता होगातुम्हारी बातों में मेरा ज़िक्र भी आता होगालाख मशरूफ रहो तुम कहीं भी लेकिनअक्सर मेरा ख्याल तुम्हें भी सताता होगा
तेरा अक्स गढ़ गया है आँखों में कुछ ऐसातेरा अक्स गढ़ गया है आँखों में कुछ ऐसासामने खुदा भी हो तो दिखता है हू-ब-हू तुझ जैसा
तेरा अक्स गढ़ गया हैतेरा अक्स गढ़ गया है, आँखों में कुछ ऐसासामने खुदा भी हो तो, दिखता है हू-ब-हू तुझ जैसा