निकले हम कहाँ सेनिकले हम कहाँ सनिकले हम कहाँ से और किधर निकलेहर मोड़ पे चौंकाए ऐसा अपना सफ़र निकलेतु समझाया किया रो-रो के अपनी बाततेरे हमदर्द भी लेकिन बड़े बे-असर निकलेबरसों करते रहे उनके पैगाम का इंतजारजब आया वो तो उनके बेवफा होने की खबर निकलेअब संभले के चले 'ज़हर' और सफ़र की सोचऐसा ना हो कि फिर से ये जगह उसी का शहर निकलेतु भी रखता इरादे ऊँचे तेरा भी कोई मक़ाम होतापर तेरी किस्मत की हमेशा हर बात पे मगर निकले।
मिली दौलतमिली दौलत, मिली शोहरमिली दौलत, मिली शोहरत, मिला है मान उसको क्योंमौका जानकर अपनी जो बात बदल जाता हैकिसी का दर्द पाने की तमन्ना जब कभी उपजेजीने का नजरिया फिर उसका बदल जाता हैचेहरे की हकीकत को समझ जाओ तो अच्छा हैतन्हाई के आलम में ये अक्सर बदल जाता हैकिसको दोस्त माने हम और किसको गैर कह दें हमजरुरत पर सभी का जब हुलिया बदल जाता हैदिल भी यार पागल है ना जाने दीन दुनिया कोकिसी पत्थर की मूरत पर अक्सर मचल जाता हैक्या बताएं आपको हम अपने दिल की दास्ताँजितना दर्द मिलता है ये उतना संभल जाता है
माना कि आदमी कोमाना कि आदमी कमाना कि आदमी को हँसाता है आदमीइतना नहीं कि जितना रुलाता है आदमीमाना गले से सब को लगाता है आदमीदिल में किसी-किसी को बिठाता है आदमीसुख में लिहाफ़ ओढ़ के सोता है चैन सेदुख में हमेशा शोर मचाता है आदमीहर आदमी की ज़ात अजीब-ओ-गरीब हैकब आदमी को दोस्तो! भाता है आदमीदुनिया से ख़ाली हाथ कभी लौटता नहींकुछ राज़ अपने साथ ले जाता है आदमी
दर्द अपना होदर्द अपना हदर्द अपना हो या परायासबमें बसा है तेरा सायाखुशियों का घर कहीं न देखामंदिर-मस्जिद तक हो आयाजबसे रूह की आहट पाईहर कोई लगने लगा परायाअब तक थे हम ठहरे पानीतुमने हमको दरिया बनाया
बड़ी मुश्किल से बना हूँबड़ी मुश्किल से बना हूँ...बड़ी मुश्किल से बना हूँ टूट जाने के बादमैं आज भी रो देता हूँ मुस्कुराने के बादतुझसे मोहब्बत थी मुझे बेइन्तहा लेकिनअक्सर ये महसूस हुआ तेरे जाने के बादअब तक ढून्ढ रहा हूँ मैं अपने अन्दर के उस शख्स कोजो नज़र से खो गया है नज़र आने के बाद
मुझे सोते हुएमुझे सोते हुए..मुझे सोते हुए जगाना मत कभीमुझे गहरी नींद सोने की आदत हैमुझे भूल कर भी हँसाना मत कभीहंसने के बाद मुझे रोने की आदत हैज़िन्दगी में मेरी कभी आना मत ए दोस्तक्योंकि मुझे खोने की आदत है