पुराने यार भी आपस में अब नहीं मिलतेपुराने यार भी आपस में अब नहीं मिलतेन जाने कौन कहाँ दिल लगा के बैठ गया
तोड़ कर आज ग़लत-फ़हमी की दीवारों कोतोड़ कर आज ग़लत-फ़हमी की दीवारों कोदोस्तो अपने ताल्लुक को सँवारा जाए* ताल्लुक : संबं
दोस्ती की तुम ने दुश्मन से अजब तुम दोस्त होदोस्ती की तुम ने दुश्मन से अजब तुम दोस्त होमैं तुम्हारी दोस्ती में मेहरबान मारा गया
जो दोस्त हैं वो माँगते हैं सुल्ह की दुआजो दोस्त हैं वो माँगते हैं सुल्ह की दुआदुश्मन ये चाहते हैं कि आपस में जंग हो
सलामत रहे वो शहर जिनमें तुम बसे हो दोस्तोंसलामत रहे वो शहर जिनमें तुम बसे हो दोस्तोंहम तुम्हारी खातिर पूरे शहर को दुआ देते हैं
आदतें अलग हैं मेरी दुनिया वालों सेआदतें अलग हैं मेरी दुनिया वालों सेदोस्त कम रखता हूँ पर लाजवाब रखता हूँ