वो चार चाँद फ़लक को लगा चला हूँ 'क़मर'वो चार चाँद फ़लक को लगा चला हूँ 'क़मर'कि मेरे बाद सितारे कहेंगे अफ़्साने
आज कुछ कमी सी है तेरे बगैरआज कुछ कमी सी है तेरे बगैरना रंग ना रौशनी है तेरे बगैरवक़्त अपनी रफ़्तार से चल रहा हैबस धड़कन थम सी गयी है तेरे बगैर
ऐ दोस्त कभी ज़िक्र-ए-जुदाई न करनाऐ दोस्त कभी ज़िक्र-ए-जुदाई न करनामेरे भरोसे को रुस्वा न करनादिल में तेरे कोई और बस जाये तो बता देनामेरे दिल में रह कर बेवफाई न करना
भूल जाने का हौसला ना हुआभूल जाने का हौसला ना हुआदूर रह कर भी वो जुदा ना हुआउनसे मिल कर किसी और से क्या मिलतेकोई दूसरा उनके जैसा ना हुआ