अभी हिज्र दामन में उतरा नहीं हैअभी हिज्र दामन में उतरा नहीं है;मगर वस्ल का भी तो चर्चा नहीं है*हिज्र- जुदा
ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता हैख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता हैऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है!
अभी राह में कई मोड़ है कोई आएगा कोई जाएगाअभी राह में कई मोड़ है कोई आएगा कोई जाएगातुम्हें जिस ने दिल से भुला दिया उसे भूलने की दुआ करो