चाँद को अपनी चौकट पे सजाने की तमन्ना ना करचाँद को अपनी चौकट पे सजाने की तमन्ना ना कर,ये जमाना तो आँखों से ख्वाब भी छीन लेता है
प्यार करना हर किसी के बस की बात नहींप्यार करना हर किसी के बस की बात नहींजिगर चाहिए अपनी ही खुशियां बर्बाद करने के लिए
हर क़दम पर हम समझते थे कि मंज़िल आ गयीहर क़दम पर हम समझते थे कि मंज़िल आ गयीहम क़दम पर इक नयी दरपेश मुश्किल आ गयीक़दम: पैदरपेश: सम्मुख, सामन
कुछ तो मेरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रखकुछ तो मेरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रखतू भी तो कभौ मुझको मनाने के लिये आपिंदार-ए-मोहब्बत : प्यार का अभिमाभरम: भ्र
चिलमन का उलट जाना ज़ाहिर का बहाना हैचिलमन का उलट जाना ज़ाहिर का बहाना हैउनको तो बहर-सूरत इक जलवा दिख़ाना हैचिलमन: घूंघज़ाहिर: स्पष्बहर-सूरत: हर हाल मे