न ग़रज़ किसी सेन ग़रज़ किसी से, न वास्ता, मुझे काम अपने ही काम सेतिरे ज़िक्र से, तिरी फ़िक्र से, तिरी याद से तिरे नाम
इन होठों को परदे में छुपा लिया कीजियेइन होठों को परदे में छुपा लिया कीजियेहम गुस्ताख़ लोग हैं, आँखों से चूम लिया करते हैं
इश्क पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब'इश्क पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब'जो लगाये न लगे और बुझाये न बने
मोहब्बत के लिए कुछ ख़ास दिल मख़्सूस होते हैंमोहब्बत के लिए कुछ ख़ास दिल मख़्सूस होते हैंये वो नग़्मा है जो हर साज़ पर गाया नहीं जाता
अब तो मुझे अपनी आँखों से भी जलन होती है "ऐ ज़ालिम"अब तो मुझे अपनी आँखों से भी जलन होती है "ऐ ज़ालिम"खुली हो तो तलाश तेरी और बन्द हो तो ख्वाब तेरे