मुस्कुराते पलकों पे सनम चले आते हैंमुस्कुराते पलकों पे सनम चले आते हैंआप क्या जानो कहां से हमारे गम आते हैंआज भी उस मोड़ पर खड़े हैंजहां किसी ने कहा था कि ठहरो हम अभी आते हैं
हमने अक्सर तुम्हारी राहों में रुक कर अपना इंतज़ार किया!हमने अक्सर तुम्हारी राहों में रुक कर अपना इंतज़ार किया
बेवफाओं की महफ़िल लगेगी ऐ दिल-ए-जानाबेवफाओं की महफ़िल लगेगी ऐ दिल-ए-जानाआज ज़रा वक़्त पर आना मेहमान-ए-खास हो तुम
आँखें सहर तलक मिरी दर से लगी रहींआँखें सहर तलक मिरी दर से लगी रहीं;क्या पूछते हो हाल शब-ए-इंतिज़ार का
तमाम वक़्त तुम्हीं से कलाम करते हैंतमाम वक़्त तुम्हीं से कलाम करते हैंशब-ए-फ़िराक़ का यूँ एहतिमाम करते हैं*कलाम- बात, बाते
वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगावो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगातो इंतज़ार में बैठा हुआ हूँ शाम से मैं