आधी से ज़्यादा शब-ए-ग़म काट चुका हूँआधी से ज़्यादा शब-ए-ग़म काट चुका हूँअब भी अगर आ जाओ तो ये रात बड़ी है
मुझ से नफ़रत है अगर उस को तो इज़हार करेमुझ से नफ़रत है अगर उस को तो इज़हार करेकब मैं कहता हूँ मुझे प्यार ही करता जाए
मोहब्बत में क्या-क्या मुकाम आ रहे हैंमोहब्बत में क्या-क्या मुकाम आ रहे हैंकि मंज़िल पे हैं और चले जा रहे हैं
किसी के इंतज़ार में हमने वक़्त को खाक़ में मिला दियाकिसी के इंतज़ार में हमने वक़्त को खाक़ में मिला दियाकिसी ने इंतज़ार करा कर हमको खाक़ कर दिया
हम भी बरगद के दरख़्तों की तरह हैंहम भी बरगद के दरख़्तों की तरह हैंजहाँ दिल लग जाए वहाँ ताउम्र खड़े रहते हैं