मज़ा आता अगर गुज़री हुई बातों का अफ़्सानामज़ा आता अगर गुज़री हुई बातों का अफ़्सानाकहीं से तुम बयाँ करते कहीं से हम बयाँ करते
सिर्फ़ लफ़्ज़ों को नहीं अंदाज़ भी अच्छा रखोसिर्फ़ लफ़्ज़ों को नहीं अंदाज़ भी अच्छा रखोइस जगत में सिर्फ़ मीठी बोलियाँ रह जाएँगी
एक एक बात में सच्चाई है उस की लेकिनएक एक बात में सच्चाई है उस की लेकिनअपने वादों से मुकर जाने को जी चाहता है
अंजाम को पहुँचूंगा मैं अंजाम से पहलेअंजाम को पहुँचूंगा मैं अंजाम से पहलेख़ुद मेरी कहानी भी सुनाएगा कोई और
जाने कितने बे-क़ुसूरों को सज़ाएँ मिल रहींजाने कितने बे-क़ुसूरों को सज़ाएँ मिल रहींझूठ लगता है तुम्हें तो जेल जा कर देखिए
सच है एहसान का भी बोझ बहुत होता हैसच है एहसान का भी बोझ बहुत होता हैचार फूलों से दबी जाती है तुर्बत मेरी*तुर्बत: क़ब्र