लोग कहते हैं कि क़ातिल को मसीहा कहिएलोग कहते हैं कि क़ातिल को मसीहा कहिएकैसे मुमकिन है अंधेरों को उजाला कहिए
मुस्कुराने की सज़ा कितनी कड़ी होती हैमुस्कुराने की सज़ा कितनी कड़ी होती हैपूछ आओ ये किसी खिलती कली से पहले
अब हवाएँ ही करेंगी रौशनी का फैंसलाअब हवाएँ ही करेंगी रौशनी का फैंसलाजिस दिये में जान होगी वो दिया रह जायेगा