दूर तक फैला हुआ पानी ही पानी हर तरफ़दूर तक फैला हुआ पानी ही पानी हर तरफ़अब के बादल ने बहुत की मेहरबानी हर तरफ़
चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी हैचलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी हैमैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखाआँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखाकश्ती के मुसाफ़िर ने समंदर नहीं देखाबे-वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगेएक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा