तेरे सीने से लगकर, तेरी आरजू बन जाऊँ,तेरी साँसो से मिलकर, तेरी खुशबू बन जाऊँ,फासले ना रहें कोई हम दोनों के दरमियाँ,मैं, मैं ना रहूँ, बस तू ही तू बन जाऊँ।
मंजिल भी नहीं ठिकाना भी नहीं...वापस मुझे उसके पास जाना भी नहीं...हमने ही सिखाया था उसे बंदूक चलाना...आज हमारे सिवा कोई और उसका निशाना भी नही..
खामोश हूँ मगर चेहरोँ की शिकन से वाकिफ हूँ । क्या हो रहा है जमाने के चलन से वाकिफ हूँ ।। ये खूबसूरत फूल भी नर्म मगरबेवफा होते हैँ । कोई माने या ना माने मैँ इस चमन से वाकिफ हूँ ।। मैँने भी सुना है के वफा बडी हशीँ चीज होती है । कोई मुझसे भी पूँछे मैँ इसकी चुभन से वाकिफ हूँ।। मैँ तन्हाँ भी हूँ और सुकूँन-ओ-चैन से महरूम भी। दिल पर लगी है मैँ इस जलन सेवाकिफ हूँ ।। उससे टूट कर वफा करता हूँ आज भी मैं । वो भी कहे किसी रोज के तेरे पागलपन से वाकिफ हूँ ।।
[['' मेरी - आशिँकी "]] ~~~~~~~~~~~~~~ सवाल कुछ भी हो... जवाब तुम ही हो... - - - रास्ता कोई भी हो... मन्जिल तुम ही हो... - - - दु:ख कितना भी हो... खुशी तुम ही हो... - - - अरमान कितने भी हो... आरजु तुम ही हो... - - - गुस्सा कितना भी हो... प्यार तुम ही हो... - - - ख्वाब कोई भी हो... उसमेँ तुम ही हो... - - - बस तुम ही हो.... अब मेँरी 'आशिँकी' तुम ही हो...!!
बच्चों को खिलाकर जब सुलादेती है माँ , तब जाकर थोडा सा सुकोन पाती है माँ ; रूह के रिश्तों की ये गहरायीतो देखो , चोट लगती है हमें और चिल्लातीहै माँ ; मांगती नहीं अपने लिए कुछ भी भगवान से , अपने बच्चों के लिए दामन फैलाती है माँ ; प्यार कहते हैं किसे ? और ममता क्या चीज़ है ?, कोई उन बच्चों से पूछे जिनकी गुज़र जाती है माँ ; चाहे हम खुशियों में माँ को भूल जाएँ , जब मुसीबत सर पर आती है तो याद आती है माँ. love u माँ....
मेरी शायरी के हर अलफ़ाज़ में मैंने आपको सजाया,मेरी यादों के हर किस्से में मैंने आपको ही पाया,ख़ुशी हो या गम साथ, आपने हर पल निभायारोशन हुयी ज़िन्दगी जब से सनम आपको बनाया
तुम इक घड़ी, इक पल, इक लम्हा...मेरे साथ बिताने का वादा तो करो...मैं हँस कर कई साल, कई सदियाँ...कई जिंदगी तुम्हारा इंतजार कर लूँगा.!!
मै लफ्जोँ मेँ कुछ भी इजहार नही करता, इसका मतलब ये नहीँ कि मै तुझे प्यार नहीँ करता, ♣ चाहता हुँ मै तुझे आज भी पर, तेरी सोच मेँ अपना वक्त बे-कार नहीँ करता, ♣ तमाशा ना बन जाये कही मोहब्बत मेरी, इसलिऐ अपने दर्द का नमुदार नहीँ करता,, ♣ जो कुछ मिला है उसी से खुश हुँ मै, तेरे लिये भगवान से तकरार नहीँ करता,, ♣ पर कुछ तो बात है तेरी फितर्त मेँ 'ऐ जालिम,, वरना मै तुझे चाहने की खता बार-बार नहीँ करता,, ♣ मै लफ्जोँ मेँ कुछ भी इजहार नही करता, इसका मतलब ये नहीँ कि मै तुझे प्यार नहीँ करता...!
जिन्दगी जब बेईमानी-सी नजर आने लगेगी, हर खुशी मेँ एक कमी सी नजर आने लगेगी, ♣ तन्हाईयाँ जब तुम्हेँ याद आने लगेगी, याद फिर हर घङी तुम्हेँ हमारी आने लगेगी, ♣ सोचोगेँ हर पल हमारे बारे मेँ, खामोशियाँ भी कुछ कहकर जाने लगेगी, ♣ सुनना चाहोगे पर कोई आवाज नहीँ होगी, तब उस पल पुकार लेना चले आयेगे हम, ♣ रोशनी भले ही किसी और के साथ गुजारी हो आपने, हम अन्धेरे मेँ भी साथ निभायेगेँ..!!
[ prem - nagari ] - - - - - - - - - - - - - - एक इश्क नगरी की वादी थी, जहाँ प्यार की नदियाँ बहती थी,, ↓ कुछ दिल-वाले भी रहते थे, जो प्यार की बातेँ करते थे,, ↓ जब बहार का मौसम आता था, और फुल प्यार के खुलते थे,, ↓ मस्त-नशीली रोतो मेँ, प्यार से दो दिल मिलते थे,, ↓ एक रोज वो बस्ती बिखर गयी, और प्यार की बस्ती उजर गयी,, ↓ और फिर हर दिल को सौग लगा, और जीवन भर का रोग लगा,, ↓ दीवाने फिरते रहते है, और हर एक से पुछा करते है, ↓ इकरार किसी से तुम ना करना, तुम प्यार किसी से ना करना...!♥
उससे प्यार हुआ जिसे हम कभी पा ना सके, : जिसकी बांतो को हम कभी बुला ना सके, : दिल लगाया और लगाकर तोड दिया उसने, : जिसे भुलना चाहा पर हम भुला ना सके, : अपनी कसम दे कर उसने मजबुर कर दिया, : मुझे खुश रखने के लिए खुद से ही दुर कर दिया, : हमारी चाहत को कभी उसने समझा ही नही, : और हम थे कि उनके लिए, अपनो को ही छौड दियाँ ...! ↓↓↓↓↓↓↓↓↓↓↓↓↓