खामोश हूँ मगर चेहरोँ की शिकन से वाकिफ हूँ । क्या हो रहा है जमाने के

SHARE

खामोश हूँ मगर चेहरोँ की शिकन से वाकिफ हूँ । क्या हो रहा है जमाने के चलन से वाकिफ हूँ ।। ये खूबसूरत फूल भी नर्म मगरबेवफा होते हैँ । कोई माने या ना माने मैँ इस चमन से वाकिफ हूँ ।। मैँने भी सुना है के वफा बडी हशीँ चीज होती है । कोई मुझसे भी पूँछे मैँ इसकी चुभन से वाकिफ हूँ।। मैँ तन्हाँ भी हूँ और सुकूँन-ओ-चैन से महरूम भी। दिल पर लगी है मैँ इस जलन सेवाकिफ हूँ ।। उससे टूट कर वफा करता हूँ आज भी मैं । वो भी कहे किसी रोज के तेरे पागलपन से वाकिफ हूँ ।।

SHARE