तो क्या हुआ जो आजकल दोस्तों से मुलाकात नहीं होती; मुलाकात तो रब से भी नहीं होती, इबादत कहाँ रुकी है जो दोस्ती रुकेगी!
बिन सावन बरसात नहीं होती, सूरज डूबे बिन रात नहीं होती; होते हैं कुछ ऐसे दोस्त ऐसे भी, जिनको याद किए बिना दिन की शरुआत नहीं होती!
लोग दौलत देखते हैं, हम इज़्ज़त देखते हैं; लोग मंज़िल देखते हैं, हम सफ़र देखते हैं; लोग दोस्ती बनाते हैं, हम उसे निभाते हैं।
इश्क़ में नस काट लेना भी आसान था पर दोस्त इतने कमीने थे कि... . . . . . . . . . सालों ने दारु पिला के उसी की बारात में नचवा दिया।
जब को कोई दोस्त बीमार होता है तो रिश्तेदार: कुछ नहीं होगा तुझे, समय पर दवाई लेते रहना, भगवान सब ठीक करेगा दोस्त: मर जा साले तू, मरने से पहले अपना xbox मुझे दे दे यार, पता है मेरे दादा जी भी ऐसे ही मरे थे।
महक दोस्ती की इश्क़ से कम नहीं होती, इश्क़ से ज़िन्दगी शुरू या खत्म नहीं होती, अगर साथ हो ज़िन्दगी में अच्छे दोस्तों का, तो यह ज़िन्दगी भी जन्नत से कम नहीं होती।