एेसे ही नम हो चली हैं मेरी आँखें….तुम तो बिल्कुल भी गुनहगार नहीं.मगरूर नहीं हूँ बस दूर हो गई हूँ मैं…उन लोगों से जिन्हें मेरी कदर नहीं है…!!
रहना तो चाहते थे साथ उनके,पर इस ज़माने ने रहने ना दिया,कभी वक़्त की खामोशी मे खामोश रहे,तो कभी खामोशी ने कुछ कहने ना दिया!!
शाम है बुझी बुझी वक्त है खफा खफा,कुछ हंसीं यादें हैं कुछ भरी सी आँखें हैं,कह रही है मेरी ये तरसती नजर,अब तो आ जाइये अब न तड़पाइये।
तेरे रोने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता ऐ दिल..जिनके चाहने वाले ज्यादा हो..वो अक्सर बे दर्द हुआ करते हैं...
क्या कहु तुझे ?ख्वाब कहूं तो टूट जायेगादिल कहु तो बिखर जायेगाआ तेरा नाम ज़िन्दगी रख दूमौत से पहले तो तेरा साथ छूट ना पायेगा