जीवन में एक बार सभी ने किया है प्यार,कुछ ने डर कर कुछ ने जोश में किया इज़हार,मगर बिना बोले जब दो दिल कह जायें दिल की बात,वही है नज़र का नज़र से सच्चा इक़रार!
आँखों की गहराई को समझ नही सकते,होंठो से कुछ कह नही सकते,कैसे बयान करे हम आपको यह दिल का हाल की,तुम ही हो जिसके बिना हम रह नही सकते!
तेरे दीदार की तलब रखता था;तुझसे प्यार की चाहत रखता था;तुझसे इज़हार की भी सदा रखता था;रख ना पाया तो सिर्फ़ इज़हार-ए-जुनून!
जिसको चाहो उसे चाहत बता भी देना,कितना प्यार है उससे यह जता भी देना,यूँ ना हो की उसका दिल कहीं और लग जाए,करके इज़हार उसके दिल को चुरा भी लेना!
इज़हार मोहब्बत का कुछ ऐसे हुआ,क्या कहें की प्यार कैसे हुआ,उनकी एक झलक पे निसार हुए हम,सादगी पे मर-मिटे और आँखो से इक़रार हुआ!
तेरी प्यारी सी मुस्कान मे अपनी खुशियाँ समेटती हूँ,तेरी नर्म छूअन से जैसे इंद्रधनुष ही छूती हूँ,तुझ मे अब मैं जीती हूँ,नीदों को छोड़कर बाहों को ओढकर,जैसे खुद ही सिहर उठती हूँ,तुझ मे अब मैं जीती हूँ.
जब तेरे ख्याल से मुलाकात हो जाती है!तूझे याद करते करते रात हो जाती है!रूकता नहीं है सिलसिला इरादों का मेरे,जब ख्वाबों से रूबरू बात़ हो जाती है!
चलो बाँट लेते है सब आधा आधा …खुशियाँ तुम ले लो गम मैं रख लेता हूँ ...हंसी तुम ले लो आंसूं मैं पी लेता हूँ …नींद तुम ले लो ख्वाब मैं सजा लेता हूँ ..साँसें तुम ले लो जिस्म मैं रख लेता हूँ ….गर बाकी कुछ रहा हो तो माफ़ करना ….बेहिचक तुम आ के वो सब कुछ ले लेना बस एक गुजारिश …कभी अलविदा मत कहना.
किसी की महोब्बत से हमने क्या पाया है,रात की नींद और दिन का चैन गंवाया है,क्या करें हम इस दिल का,जिसे आज बरबाद हो कर भी होश नहीं आया है !
हलकी हलकी जल की बूंदे, जब लेकर आते है बादलमन मसोस कर रह जाती हूूँ, बह जाता है मेरा काजलकैसे है ये बैरी बादल, पूछ रहा है ये मेरा आँचल..आसमान भी कह रहा है, ये निर्मोही है काले बादलकड़कड़ाहट आवाज़ से, प्रेमियों को कर देता है पागलकाली घटा जब छट जायेगी, जब समझेगे ये बादलहमारी इल्तिज़ा है तुमसे, जरा रूक कर बरसों बादलप्रेमी जब मेरा आ जाए, फिर जम कर बरसों बादल
साथ तेरा जो मिला तो दिल में सुकून सा लगने लगातेरा ना छोड़ेंगे साथ कभी हर पल ख़्वाब सजने लगानहीं पता था ज़िन्दगी क्या होती हैं तुझसे मिलने से पहलेतुम आये ज़िन्दगी में मेरी तो सोया अरमान मचलने लगातुम ही से तो जुडी हैं अब हर खुशिया मेरी जानेमनतुम्हारी छुहन से मेरा हर लम्हा अब महकने लगापता ना चला कब कौन सी डोर तेरी ओर खिंच लायीतेरा साथ पाकर मेरा हर लम्हा खूबसूरत बनने लगा