ये मेरा दिवानापन है,या मोहब्बात का सुरूर....!तू ना पहचाने तो है ये तेरी नाजरों का कुसूर....!!बसने लगी आँखों में कुछ ऐसे सपने...कोई बुलाये जैसे नैनों से अपने...!!!
लबो से चाहत की खुशबू चुराने दोबहुत हो गया सितम, अब तो पास आने दोना करना जुबां से इज़हार मोहब्बत का…बस इशारो से ही राज़-ए-दिल की बात बताने दोहो मेहबूब तुम्हारे जैसा हसीन तो मुमकिन हैंदेख कर तुमको निगाहो में खुमार भर जाने दोहै गुज़ारिश नहीं संभालता ये इश्क़ हमसेअब तो टूट कर बाहो में बिखर जाने दो
दर्द की जब कभी इन्तहा होती हैंदवा की जरुरत फिर कहाँ होती हैंतन्हाई, बेचैनी और बस कुछ आहेंइनमे पल कर ही मोहब्बत जवां होती हैं
मोहब्ब्त किसी से तभी करना जब निभाना सीख लो...मजबूरियों का सहारा लेकर छोड़ देना वफादारी नहीं होती....!!
उसके साथ रहते रहते हमे चाहत सी हो गयी,उससे बात करते करते हमे आदत सी हो गयी,एक पल भी न मिले तो न जाने बेचैनी सी रहती है,दोस्ती निभाते निभाते हमे मोहब्बत सी हो! गयी
यू तो राज खुल ही जायेगा हमारी मुहब्बत का एक दिन.हम जो हर महफिल में तुम्हारे नाम से शायरी का आगाज करते हैं...!!
तेरे होंठो की लाली आज मुझे बहका रही हैंतेरे बदन की खुशबू मुझे महका रही हैंमेरी जान तुझे वैलेंटाइन्स डे मुबारक हो,आजा करीब तुझे छूने को बेचेनी बढ़ रही है