बड़ा बेसुरा बड़ा कुरूप; काला है भई उसका रूप; लेकिन उड़ना जाने है वो; मगर नहीं वो पतंग विमान; उसकी वाणी इतनी कढ़वी; पक जाते हैं सुनकर कान; बतलाओ तुम उसका नाम?
आगे ''त' है पीछे 'त'' है; इसको सब कुछ बड़ा पता है; नकल उतारे सुनकर वाणी; चुप-चुप सुने सभी की कहानी; नील गगन है इसको भाए; चलना क्या उड़ना भी आए; पर पिंजरा न इसको भाए। बताओ क्या?
राजा महाराजाओं के ये कभी बहुत ही आया काम; संदेशा इसने पहुंचाया सुबह चाहे यां थी शाम; बतलाओ अब इसका नाम?
उछले दौड़े कूदे दिनभर; यह दिखने में बड़ा ही सुंदर; लेकिन नहीं ये भालू बंदर; अपनी धुन में मस्त कलंदर; इसके नाम में जुड़ा है रन; घर हैं इसके सुंदर वन। बताओ कौन?
रंग बिरंगा बदन है इसका; कुदरत का वरदान मिला; इतनी सुंदरता पाकर भी; दो अक्षर का नाम मिला; ये वन में करता शोर; इसके चर्चे हैं हर ओर। बताओ कौन?
न सीखा संगीत कहीं पर; न सीखा कोई गीत; लेकिन इसकी मीठी वाणी में; भरा हुआ संगीत; सुबह सुबह ये करे रियाज; मन को भाती इसकी आवाज। बताओ क्या?
आगे 'प' है मध्य में भी 'प'; अंत में इसके 'ह' है; कटी पतंग नहीं ये भैया; न बिल्ली चूहा है; वन में पेड़ों पर रहता है; सुर में रहकर कुछ कहता है। बताओ क्या?
नोच-नोच कर खाता मांस; जीव है दुनिया का ये खास; दो अक्षर का छोटा नाम; लेकिन इसका मोटा काम; उड़ता रहता सुबह शाम। बताओ क्या?