आदि कटे तो गीत सुनाऊँ; मध्य कटे तो संत बन जाऊँ; अंत कटे साथ बन जाता; संपूर्ण सबके मन भाता। बताओ क्या?
लोहा खींचू ऐसी ताकत है; पर रबड़ मुझे हराता है। खोई सूई मैं पा लेता हूँ; मेरा खेल निराला है। बताओ मैं क्या हूँ?
गर्मी में तुम मुझको खाते; मुझको पीना हरदम चाहते; मुझसे प्यार बहुत करते हो; पर भाप बनूँ तो डरते भी हो।
तुम न बुलाओ मैं आ जाऊँगी; न भाड़ा न किराया दूँगी; घर के हर कमरे में रहूँगी; पकड़ न मुझको तुम पाओगे; मेरे बिन तुम न रह पाओगे। बताओ मैं कौन हूँ?
वो कौन सा काम है जो 1 आदमी अपनी पूरी ज़िंदगी में 1 बार करता है, पर वही काम 1 औरत रोज़ करती है? बताओ क्या?