आज बाजार में देखा कुछ नादान बच्चे सब्जी बेच रहे थे । मैंने उनसे पुछा - पालक है क्या ? बच्चो का जवाब सुन मेरा मन भर आया ..... बोले - पालक होते तो क्या सब्जी बेचते ?
कल्पना से परे है खुबसूरती, शब्दो से परे है दोस्ती, अहसास से परे है प्यार और.. हकीकत से परे है जिन्दगी..
जिंदगी का सबसे बड़ा सच यही है.. जो अक्सर कबरिस्तान के बाहर बोर्ड पर लिखा होता है. “मंजिल तो यही थी, बस जिंदगी गुज़र गयी मेरी यहाँ आते आते “
ज़िन्दगी एक हसीन ख़्वाब है ,,,,, जिसमें जीने की चाहत होनी चाहिये, ग़म खुद ही ख़ुशी में बदल जायेंगे,.,, सिर्फ मुस्कुराने की आदत होनी चाहिये!
मेरी गलतियाँ, मेरी कमियां , मेरे सारे दोष, अनदेखा कर देना ..... क्यों की मैं जिस माहौल में रहता हूं, उसे दुनिया कहते हैं...!
कुछ पल खामोशियों में खुद से रूबरू हो लेने दो यारों... जिंदगी के शोर में खुद को सुना नहीं मुद्दतों से मैंने..
सुकून उतना ही देना ऐ खुदाु जितने से जिंदगी चल जाए, औकात बस इतनी देना कि औरों का भला हो जाए, रिश्तो में गहराई इतनी हो कि प्यार से निभ जाए, आँखों में शर्म इतनी देना कि बुजुर्गों का मान रख पायें, साँसे पिंजर में इतनी हों कि बस नेक काम कर जाएँ, बाकी उम्र ले लेना कि औरों पर बोझ न बन जाएँ !!
लोग अक्सर मुझसे कहते है की जगह-जगह तुम्हारी बहुत "निंदा" होने लगी है । और मैं जवाब में कहता हूँ की "निंदा "तो उसी की होती है जो"जिंदा" है। मरे हुए कि तो बस तारीफ ही होती हैं।
यदि हर कोई आप से खुश है तो ये निश्चित है कि आपने जीवन में बहुत से समझौते किये हैं, और यदि आप सबसे खुश हैं तो ये निश्चित है कि आपने लोगों की बहुत सी ग़लतियों को नज़रअंदाज़ किया है।
"कर्मों की आवाज़ शब्दों से भी ऊँची होती है...! "दूसरों को नसीहत देना तथा आलोचना करना सबसे आसान काम है। सबसे मुश्किल काम है चुप रहना और आलोचना सुनना...!!" यह आवश्यक नहीं कि हर लड़ाई जीती ही जाए। आवश्यक तो यह है कि हर हार से कुछ सीखा जाए ।।