झूठा अपनापन तो हर कोई जताता है; वो अपना ही क्या जो पल-पल सताता है; यकीन ना करना हर किसी पर; क्योंकि करीब है कितना कोई यह तो वक़्त ही बताता है।
समय, सत्ता, संपत्ति और शरीर चाहे साथ दें ना दें; लेकिन; स्वाभाव, समझदारी, सत्संग और सच्चे संबंध हमेशा साथ देते हैं।
जिंदगी में वक्त से ज्यादा अपना या पराया कोई नहीं होता; वक्त अपना होता है तो सब अपने होते हैं; और; वक्त पराया होता है तो अपने भी पराये हो जाते हैं।
जीवन में ज़ख़्म बड़े नहीं होते हैं; उनको भरने वाले बड़े होते हैं; रिश्ते बड़े नहीं होते हैं; लेकिन रिश्तों को निभाने वाले बड़े होते हैं।
आप कितना जल्दी कार्य करते हैं, इसे लोग याद नहीं रखते; बल्कि; कार्य आप कितने अच्छे तरीके से करते हैं, यह जरूर याद रखा जाता है।
अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए; वैसे दंश भले ही न दो पर दंश दे सकने की क्षमता का दूसरों को अहसास करवाते रहना चाहिए।
किसी एक विचार को अपने जीवन का लक्ष्य बनाओ; कुविचारों का त्यागकर केवल उसी विचार के बारे में सोचो; तुम पाओगे कि सफलता तुम्हारे कदम चूम रही है।
खुद का अपमान कराके जीने से तो अच्छा है मर जाना; क्योंकि प्राणों को त्यागने से केवल एक ही बार कष्ट होता है; पर अपमानित होकर जीवित रहने से आजीवन दुःख होता है।
किसी को नजरों में ना बसाओ; क्योंकि नजरों में सिर्फ सपने बसते हैं; बसाना ही है तो दिल में बसाओ; क्योंकि दिल में सिर्फ अपने बसते हैं।
जिस व्यक्ति के हृदय में दया और प्रेम बसते हैं; जिसका मुख सदैव अमृतवाणी बोलता है; और जिसके नेत्रों में विनय दिखता है; "वही श्रेष्ठ मानव है।"