मार्केट, बैंक, ऑफिस, दुकानें, माॅल और कारोबार सब कुछ खुला है! सिर्फ स्कूल, कॉलेज, लाइब्रेरी और कोचिंग सेंटर बंद हैं! जैसे कोरोना चीन से सिर्फ यहाँ पढ़ने आया हो और ये सब बंद देख वापस चला जायेगा!
अब ये भी एक समस्या हो गयी है! पता ही नही चल रहा है कि मास्क के अंदर से कौन मुस्कुरा रहा है और कौन मुँह चिढ़ा रहा है!
आज़ एक मैसेज मिला कि "सायक्लौन आ रहा हैं इसीलिये आपको घर पर ही रहना है और दूध, दवाईयां और अन्य आवश्यक चीजों को स्टॉक कर लेना है। सालों, पहले ही 2 महीने से घर के अंदर हूँ! अब क्या ज़मीन में गड्डा खोद लूँ!
बाहर निकलो तो कोरोना, घर में बैठो तो भूकंप और ज़रा सी खिड़की खोल के झाँक लो तो टिड्डियाँ! कुदरत भी गिन-गिन कर बदले ले रही है!
बैंक भी नहीं बचेगा, दुनिया भी नहीं बचेगी इसलिए मैं अपना पैसा पानी की तरह बहा रहा हूँ! अभी मैंने 10 रुपये वाली फ्रूटी पी!