एक जमाना था जब प्यार में लोग अमर होते थे। फिर समय आया लोग प्यार में अँधे हो जाते थे। अब तो समय वो है जब प्यार में लोग... . . . . . . . . तोतले हो जाते हैं। 'अले मेला बाबू... गुच्छा हो गया'।
वो लोग ही ऑफिस बॉय से अकड़ के 'एक चाय लाना' बोलते हैं जिनको घर में 'उठ के ले लो और वापिस धो के रखना' सुनने को मिलता है।
महंगाई के इस दौर में करना पढता है अपने खर्चे पर काबू, महंगाई के इस दौर में करना पढता है अपने खर्चे पर काबू; एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू।
कुछ लड़कियाँ परीक्षा में इतनी सज सँवर कर आती हैं कि समझ नहीं आता... . . . . . . . . . खुद पास आने आयी हैं या दूसरों को फेल करने आयी हैं।
जिनकी शक्ल देखकर नाई का शीशा भी टूट जाता है... . . . . . . . . . . उन हरामखोरों की भी मोहल्ले में दो-दो सेटिंग हैं।