पति-पत्नी दोनों मंदिर गए और पत्नी ने मन्नत का धागा बाँधने के लिए हाथ उठाये और फिर कुछ सोच कर मन्नत का धागा बांधे बिना ही हाथ नीचे कर लिये। पति: ये क्या? मन्नत नही मॉंगी? पत्नी: माँगने ही लगी थी कि ईश्वर आपकी तमाम मुश्किलें दूर कर दे फिर सोचा कहीं मैं ही न निपट जाऊँ।
पत्नी: तुम मुझे पहले जितना प्यार नहीं करते। शादी से पहले तो पड़ोस की छत से कूदकर मुझे मिलने आ जाते थे। पति: अब सोचता हूँ कि साला उसी छत से मैं गिर क्यों नहीं गया।
बहू: मां जी कल रात मेरा उनसे झगड़ा हो गया! सास: कोई बात नहीं! ये तो हर पति पत्नी में होता रहता है! बहू: वो तो मुझे भी पता है, पर ये बताइये अब लाश का क्या करना है?
पति बेचारा साल के 365 दिन पत्नी का मुँह देख कर खाना खाता है, उसमें कोई बात नहीं। लेकिन पत्नी एक दिन पति का मुँह देखकर खाना खाये तो साला त्योहार बन जाता है।
पति-पत्नी चाय की चुस्कियों के साथ अखबार पढ़ रहे थे। पत्नी को एक चटपटी खबर दिखी तो उसने पति से कहा, "खबर छपी है कि एक 80 साल के कुंवारे बूढ़े ने शादी कर ली।" पति ठंडी सांस भरते हुए बोला, "बेचारे ने लगभग पूरी ज़िन्दगी समझदारी दिखाई पर बुढ़ापे में बेवकूफी कर ही दी।"
पत्नी: मैं आपके लिए दुनिया में किसी भी जगह जा सकती हूँ। पति: तो यह भी वादा करो कि कभी वापस भी नहीं आओगी।