नज़रें मिले तो उसे 'इज़हार' कहते हैं; रातों को नींद ना आये तो उसे 'प्यार' कहते हैं; मिले दिल तो उसे 'इकरार' कहते हैं; पर जो इन सब में ना पड़े उसे 'समझदार' कहते हैं।
मुकद्दर में रात को नींद नहीं तो क्या; मुकद्दर में रात को नींद नहीं तो क्या; हम भी मुकद्दर को चूना लगाते हैं; और दिन में ही सो जाते हैं।
बडी उम्र में विवाह कर रहे नेताजी से उनके एक परिचित ने पूछा: आप इतनी लेट शादी क्यों कर रहें हैं? नेताजी ने बड़ी गम्भीरता से कहा: यह मेरा मध्यावधि चुनाव है, मेरा पहला विवाह भंग हो गया था।
हसरत-ए-दीदार के लिये जब होइ हमारी तमन्ना; उसकी गली मे हमने मोबाईल की दुकान खोली; मत पूछो अब हालात-ए-बेबसी का, ऐ गालिब; के रोज़ एक नया शख्स उनके नम्बर पे रीचार्ज़ करवानें आता है।